परसुराम जयंती महर्षि परसुराम की जयंती के सम्मान में मनाई जाती है, जिन्हें हिंदू पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। गुजरात, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा राज्यों में यह 2024 में 10 मई, शुक्रवार को मनाया जाता है ।
इस दिन को उच्च लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जीवन की सुख-सुविधाओं का त्याग करने के तरीके के रूप में उपवास करके मनाया जाता है। उपवास आमतौर पर एक दिन पहले शुरू होता है।
इसे नए प्रयास शुरू करने और नई संपत्ति हासिल करने के शुभ अवसर के रूप में भी मनाया जाता है, चाहे वह व्यवसाय शुरू करना हो या सोने के गहने खरीदना हो। इस दिन को अक्षय तृतीया भी कहा जाता है ।
लोग महर्षि के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करने के लिए उन मंदिरों में भी जाते हैं जो विशेष रूप से महर्षि को समर्पित हैं। वे भगवान विष्णु को समर्पित मंदिरों में भी जाते हैं क्योंकि उन्हें उनका अवतार माना जाता है।
महर्षि परशुराम जयंती के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ! महर्षि परशुराम हिंदू धर्म के एक महान ऋषि और अवतार माने जाते हैं। उन्हें विष्णु अवतारों में एक माना जाता है, जिनका प्रमुख कार्य अधर्मियों का नाश करना था। उनकी कथाएं धार्मिक शास्त्रों में व्यापक रूप से प्रसिद्ध हैं और उनकी जीवनी और कृतियों का पालन करने से मनुष्य धर्म और नैतिकता में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर उनकी आत्मा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनके जीवन के महत्वपूर्ण संदेशों को याद करते हैं।
महर्षि परशुराम एक प्रसिद्ध ऋषि और हिंदू धर्म के अवतार माने जाते हैं। उन्हें विष्णु अवतारों में एक माना जाता है। परशुराम का जन्म राजर्षि जमदग्नि और रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका प्रमुख कार्य अधर्मियों का संहार करना था, और वे अपने पिता की इच्छा का पालन करते हुए धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहे। उनकी कई महत्वपूर्ण कथाएं और युद्ध कथाएं पुराणों और इतिहासों में मिलती हैं। उन्होंने अपनी ताकत और धर्म के प्रति समर्पण के लिए विख्यात हैं।
महर्षि परशुराम को हिंदू धर्म में विष्णु अवतारों में एक माना जाता है। उन्हें ऋषि और योद्धा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। उनका प्रमुख कार्य अधर्मियों का संहार करना था और धर्म की रक्षा करना था। उन्होंने धर्म के पालन में अपना समर्पण दिखाया और अधर्मियों के खिलाफ लड़ा। उनकी कहानियाँ और उनके कृतित्व धर्म और नैतिकता के माध्यम से मानवता को उत्तेजित करते हैं और उन्हें धार्मिक मार्गदर्शक के रूप में माना जाता है।
बहुत से मंदिर विशेष रूप से महर्षि परशुराम को समर्पित होते हैं, जहां लोग उनकी श्रद्धा अर्पित करने जाते हैं। इन मंदिरों में महर्षि परशुराम की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित होती है और उन्हें पूजा अर्चना की जाती है।
साथ ही, उन्हें विष्णु के अवतार के रूप में मानने के कारण, भगवान विष्णु को समर्पित मंदिरों में भी लोग जाते हैं। महर्षि परशुराम के कई स्थलों पर भगवान विष्णु के मंदिर होते हैं, जहां उनका पूजन किया जाता है। यह एक प्रकार की आदर्शता और समर्पण का प्रतीक है, जो महर्षि परशुराम के धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को प्रकट करता है
Akshaya Tritiya 2024-
आज देश के अलग अलग हिस्सों में अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जा रहा है। अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, आमतौर पर इसे हिंदू और जैन धर्म में धूमधाम से मनाया जाता है। यह शुभ अवसर नई शुरुआत और समृद्धि का प्रतीक है। “अक्षय” शब्द का अर्थ स्वयं “अविनाशी” या “अमर” होता है। यह इस विश्वास को दर्शाता है कि इस दिन किए गए किसी भी कार्य को असीम सफलता और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे में आइए इस लेख में जानते हैं कि
अक्षय तृतीया का क्या महत्व है, इस साल इसका शुभ मुहूर्त कब है और साथ ही ये भी जानेंगे कि क्यों इस बहुत से लोग सोना खरीदते हैं?
अक्षय तृतीया हिंदू पंचांग में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो समृद्धि, सफलता, और खुशहाली का प्रतीक है। यह त्योहार वैष्णव, जैन, और सनातन धर्म के अनुयायियों द्वारा पूजित होता है। इसे विशेष रूप से सोने, चांदी, अगरबत्ती, घी, जैसी चीजों की खरीद और नई शुरुआत के लिए धन के लिए शुभ माना जाता है।
अक्षय तृतीया को महाभारत काल में भगवान गणेश और वेद व्यास ने महाभारत का रचना करने के लिए आरंभ किया था। इसके अलावा, इस दिन पर सूर्य और चंद्रमा अपने विशेष देवता के रूप में पूजित होते हैं और लोग सभी प्रकार के धार्मिक और सामाजिक कार्यों को करते हैं।
इसके अतिरिक्त, अक्षय तृतीया को विवाह और गृह प्रवेश के लिए भी शुभ माना जाता है। यह एक साधारण धार्मिक त्योहार होने के साथ-साथ व्यापारिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि लोग इस दिन बहुत से व्यापारिक लेन-देन करते हैं और नए निवेशों में अपनी शुरुआत करते हैं।
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त
इस साल अक्षय तृतीया शुक्रवार, 10 मई 2024 को पड़ रहा है।
तृतीया तिथि का प्रारंभ – 10 मई 2024 को सुबह 4:17 बजे
तृतीया तिथि का समापन – 11 मई 2024 को रात 2:50 बजे
अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त – सुबह 5:33 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक
कुल अवधि – 6 घंटे 44 मिनट
अक्षय तृतीया की शुरुआत 10 मई को सुबह 4 बजकर 17 मिनट पर होगा. इसका समापन 11 मई को सुबह 2 बजकर 50 मिनट पर होगा. यही कारण है कि इस बार अक्षय तृतीया 10 मई को मनाया जाएगा.
अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदने की परंपरा है। इस दिन लोग सोने और चांदी की खरीदारी करके अपने धन को बढ़ाने का काम करते हैं। इसे ‘अक्षय’ या ‘अमर’ के रूप में माना जाता है, इसलिए इस दिन कुछ भी खरीदने से व्यक्ति की समृद्धि और स्थिरता में वृद्धि होती है माना जाता है।
इस दिन सोने और चांदी की जेवरात, सोने और चांदी के सिक्के, गहने, और अन्य सोने और चांदी के उत्पादों की खरीदारी की जाती है। व्यापारिक दृष्टि से भी यह एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि धार्मिक और सामाजिक कार्यों के साथ-साथ लोग नई खरीदारियों में भी अपनी शुरुआत करते
अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा उपासना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और धन-वैभव की प्राप्ति होती है। पौराणिक महत्व के नजरिए से अक्षय तृतीया बहुत ही खास तिथि मानी गई है।
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः ॥
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चावल और बाजरा खरीदने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है।
एस्ट्रोलॉजर के अनुसार इस शुभ दिन नमक का दान करने से पितरों को खुशी मिलती है। इससे वह हमारे जीवन के सभी परेशानियों को दूर करते हैं। इसलिए अक्षय तृतीया पर नमक खरीदा जाता है। कहा जाता है कि नमक का दान करने से पितृ प्रसन्न हो जाते हैं।
सोने की तरह ही, चांदी के आभूषण, बर्तन या सिक्के खरीदना भी धन और प्रचुरता के निमंत्रण के रूप में देखा जाता है। चंद्रमा के साथ चांदी का संबंध आपकी खरीदारी में शांति और शांति का स्पर्श जोड़ता है। अक्षय तृतीया को रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए एक आदर्श दिन माना जाता है।
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, अक्षय तृतीया वह दिन है जब भगवान कुबेर को भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा का आशीर्वाद प्राप्त हुआ और उन्हें स्वर्ग की संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई।