Hindi Poetry Shayari Ghazal
लफ़्ज़ों में वो बात कहां ये तो आंखों का फसाना है
दिल से निकली है ये धुन ये तो दिलों का तराना है
कुछ ख़्वाब आंखों के जो संवर जाते हैं
तो कुछ ख़्वाब जो आंखों में ही बिखर जाते हैं
कुछ ना कुछ कहता रहेगा यह तो ज़माना है
अचानक से कोई आके सामने खड़ा हो गया
एक छोटा सा ख़्वाब था इतना बड़ा हो गया
सफर में ही चल रहे हैं मंज़िल का न ठिकाना है
यह जो ख़ामोशी है खूब बोलती है
यह दिलों के सारे राज़ खोलती है
यह तीर-ए – नज़र का निशाना है
आज कल पत्थर भी पिघल रहे हैं
धूप से ये पांव जल रहे हैं
पेड़ की छांव में हमें जाना है
लफ़्ज़ों में वो बात कहां
ये तो आंखों का फसाना है
दिल से निकली है ये धुन
ये तो दिलों का तराना है
– शिवांगी शिवी