चर्चा मे क्यों
हाल हि में भारत कोच्चि, केरल मे 46 वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक और पर्यावरण संरक्षण समिति की 26 वीं बैठक की मेजबानी करने वाला है।
अंटार्कटिक संधि क्या हैं
अंटार्कटिक संधि (Antarctic Treaty) एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जो दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के साथ जुड़े अंटार्कटिका महाद्वीप के राजनैतिक, वैज्ञानिक, और पर्यावरणीय उपयोग को नियंत्रित करता है। यह समझौता 1 दिसंबर 1959 में सम्पन्न हुआ और 23 राष्ट्रों द्वारा संबोधित किया गया था।
मूल हस्ताक्षरकर्ता में 12 देश ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, जापान, न्यूजीलैंड, फ़्रांस, चिली, बेल्ज़ियम, नार्वे, दक्षिण अफ्रीका, सोवियत समाजवादी गनराज्य संघ अमेरिका और ब्रिटेन शामिल थे।
वर्तमान मे 26 देश इस समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता है।
इस क्षेत्र में हस्ताक्षर करने से अंटार्कटिक महाद्विप एक विसेन्यिकृत क्षेत्र बन जाता है, जिसे केवल वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए संरक्षित किया जायेगा।
अंटार्कटिक संधि मे भारत की भूमिका:
भारत ने अंटार्कटिक संधि में अहम भूमिका निभाई है। भारत ने 1983 में अंटार्कटिका में अपनी अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान मिशन की शुरुआत की थी और फिर 1983 में अंटार्कटिक संधि का सदस्य बन गया था। भारत अंटार्कटिका में अपनी अनुसंधान और विज्ञान की दृष्टि से अहम स्थान रखता है और संधि के अनुरूप वैज्ञानिक और पर्यावरणीय गतिविधियों में भाग लेता है।
दक्षिण गंगोत्री भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम के तहत अंटार्कटिका मे स्थापित पहला भारतीय वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र था। ( दक्षिण गंगोत्री वर्ष 1990 मे बंद कर दिया गया था । )
वर्तमान में भारत मे दो अनुसंधान केंद्र संचालित करता है। मैत्री ( 1989) और भारती ( 2012 )।
भारत की अंटार्कटिक अनुसंधान मिशन का मुख्य उद्देश्य है वैज्ञानिक अनुसंधान, पर्यावरणीय मानकों का अध्ययन, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में भाग लेना है। भारतीय अंटार्कटिक अनुसंधान मिशन के तहत, भारत ने विभिन्न शोध प्रोजेक्ट्स को संचालित किया है, जिनमें भूगोल, जैव विविधता, अवाक्सीकरण, और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शामिल है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र के माध्यम से इन बैठको की मेजबानी कर रहा है। जिसका उद्देश्य अंटार्कटिका मे पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक सहयोग पर वैश्विक चर्चा को सुविधाजनक बनाना है ।
अटार्कटिक संधि के मुख्य उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:
1. अंटार्कटिका के संरक्षण: संधि का मुख्य उद्देश्य अंटार्कटिका के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और संरक्षण है। इसके तहत, अंटार्कटिका में भौतिक उपयोग सीमित होता है और इसकी प्राकृतिक विरासत को संरक्षित किया जाता है।
2. वैज्ञानिक अनुसंधान का समर्थन: संधि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए अंटार्कटिका में स्थायी और विशेष अनुसंधान स्थल के रूप में कार्य करने का समर्थन करती है।
3. सामंजस्य और शांति: इसका उद्देश्य अंटार्कटिका क्षेत्र में सामंजस्य और शांति की स्थापना है, ताकि इस क्षेत्र में कोई राजनीतिक विवाद न उत्पन्न हो।
4. वैज्ञानिक और शिक्षा सहयोग: यह संधि अंटार्कटिका में शिक्षा, विज्ञान, और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देती है।
5. संधि के पालन: संधि के सदस्य राष्ट्रों के लिए, अंटार्कटिका में कार्य करने के नियमों और उपेक्षा का अधिनियम करना।
अंटार्कटिक संधि एक महत्वपूर्ण साधन है जो अंटार्कटिका के संरक्षण वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।