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झुंझुनूं में आईआरएस अधिकारी ने 21 किलोमीटर दौड़कर मतदान किया

 

9 फुल 38 हाफ मैराथन के धुरंधर….. लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व

राजस्थान के झुंझुनूं जिले में आईआरएस अधिकारी सुशील कुलहरी ने एक अद्वितीय और प्रेरणादायक कदम उठाया है, जो मतदान के महत्व को प्रकट करता है। उन्होंने 21 किलोमीटर की दौड़ पूरी की और मतदान केंद्र पर अपना वोट डाला।

सुशील कुलहरी ने सुबह संध्या वक्ति का पालन करते हुए, झुंझुनूं जिले के कलेक्ट्रेट कार्यालय से अपने गांव तिलोका का मतदान केंद्र की ओर प्रयाण किया। इस यात्रा में उनके बेटे ने साथ दिया और साइकिल चलाकर उनका समर्थन किया। यह 21 किमी की दौड़, जिसे हाफ मैराथन के रूप में भी जाना जाता है, उनके लिए एक महत्वपूर्ण कदम रहा।

सुशील कुलहरी का यह प्रयास मतदान के महत्व को बढ़ावा देने और लोगों को मतदान के लिए प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने पिछले कई चुनावों में भी ऐसे ही प्रयास किए हैं, जिससे मतदाताओं को चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेने की प्रेरणा मिले।

ज्यादातर लोगों के लिए मतदान केंद्र दूर होने का कारण बन जाता है, लेकिन सुशील कुलहरी ने इस मामले में उन्नति लाने के लिए स्वयं को प्रेरित किया। उनका यह प्रयास समाज के लोगों में जागरूकता और उन्हें मतदान के महत्व को समझाने में मदद करेगा।

सुशील कुलहरी का यह कदम एक प्रेरणास्पद उदाहरण है, जो हमें दिखाता है कि चुनावी प्रक्रिया में सक्रिय भाग लेने का मतलब सिर्फ एक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह एक ज़िम्मेदारी भी है। उनकी यह पहल लोगों को यह संदेश देती है कि हर किसी का एक महत्वपूर्ण योगदान है और समाज के लिए सकारात्मक परिणामों के लिए हमेशा सक्रिय रहना चाहिए।

 

9 फुल 38 हाफ मैराथन के धुरंधर

 

सुशील कुलहरी को एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है जो न केवल अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करते हैं, बल्कि वे अपने स्वास्थ्य को भी महत्व देते हैं और एक स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली का प्रतीक बनाते हैं। उनका यह समर्थन और प्रेरणा दूसरों को भी जीवन की सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकता है।

सुशील कुलहरी ने अपने पेशेवर जीवन के साथ-साथ अपने स्वास्थ्य को भी महत्व दिया है। उन्होंने विभिन्न मैराथन इवेंट्स में भाग लिया है और न केवल 9 फुल मैराथन, बल्कि 38 हाफ मैराथन भी पूरा किया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, जो उनकी आत्मविश्वास को और भी मजबूत करती है।

इसके साथ ही, सुशील कुलहरी ने मतदान के प्रति भी अपनी प्रतिबद्धता और समर्थन प्रकट किया है। वे पिछले कई चुनावों में भी मतदान करने के लिए अपने परिवार और मित्रों के साथ लगातार मतदान केंद्र तक दौड़ लगाते रहे हैं। उनकी इस पहल से वह न केवल अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं, बल्कि दूसरों को भी मतदान के महत्व को समझाने में मदद मिलती है।

सुशील कुलहरी की यह पहल एक सकारात्मक संदेश है कि यदि हम अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं और उसे महत्व देते हैं, तो हम अपने पेशेवर कर्तव्यों का भी पूरा कर सकते हैं। इससे हमें एक स्वस्थ और संतुलित जीवनशैली का आनंद मिलता है और हम अपने जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

सुशील कुलहरी का यह योगदान और प्रेरणादायक उदाहरण हमें यह दिखाता है कि जब हम अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं, तो हम किसी भी समस्या का सामना कर सकते हैं और अपनी सफलता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं। उनका यह प्रयास हमें यह बताता है कि कठिनाईयों का सामना करना हमें मजबूत बनाता है और हमें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल बनाता है।

 

लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व

लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व हमें हमारे लोकतंत्रिक अधिकारों का महत्व समझाने का अवसर देता है। सुशील कुलहरी के इस संदेश से स्पष्ट है कि मतदान का महत्व केवल हमारे निजी हितों के साथ ही सीमित नहीं होता, बल्कि यह समाज के हित में भी होता है। उनकी यह पहल युवाओं को सक्रिय नागरिकता की ओर प्रेरित कर रही है, जो अपने देश में लोकतंत्र के मूल्यों का समर्थन करना चाहते हैं।

भारत वासियों के लिए मतदान एक पवित्र कर्तव्य है, जो हर नागरिक को निरंतर निभाना चाहिए। सुशील कुलहरी जैसे प्रेरणादायक उदाहरण से हमें यह दिखाता है कि हमें अपने लोकतंत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने का समय नहीं होता, बल्कि हमें इसे अभिव्यक्त करने का मौका मिलता है।

लोकतंत्र का सबसे बड़ा पर्व हमें साझा जवाबदेही की भावना को समझाता है। यह हमें समझाता है कि हमारे मताधिकार का प्रयोग करना हमारा कर्तव्य है, और हमें समाज के लिए बेहतर निर्णय लेने के लिए अधिक से अधिक अपनी भागीदारी दर्ज करनी चाहिए। इस पर्व के माध्यम से हम सबको यह याद दिलाते हैं कि लोकतंत्र की रक्षा करने का जिम्मेदारी हर नागरिक को स्वीकार करना चाहिए।

सुशील कुलहरी की यह पहल एक प्रेरणादायक संदेश है जो हमें यह बताती है कि मतदान केंद्रों में पहुंचकर मतदान करना हमारा राष्ट्रिय कर्तव्य है। वे युवाओं को अपने अधिकारों के लिए संगठित होने की प्रेरणा दे रहे हैं और उन्हें लोकतंत्र के महत्व को समझाने का माध्यम बना रहे हैं। उनकी इस प्रेरणादायक क्रिया देशवासियों को सक्रिय नागरिकता की ओर प्रेरित करती है, जो एक स्वस्थ और सशक्त लोकतंत्र की नींव होती है।

 

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