मणिपुर में पोलिंग बूथ पर गोलीबारी, 3 घायल:
इम्फाल ईस्ट में EVM में तोड़फोड़, कुकी समुदाय का चुनाव बहिष्कार का ऐलान
मणिपुर में BJP सबसे बड़ी पार्टी, NPP और NPF से अलायंस
मणिपुर में हुए चुनाव प्रक्रिया में हाल ही में हुई घटनाओं ने राजनीतिक माहौल को बेहद तनावपूर्ण बना दिया है। पोलिंग बूथ पर हुई गोलीबारी, EVM में तोड़फोड़ और कुकी समुदाय के चुनाव बहिष्कार का ऐलान इन घटनाओं का एक अभिन्न हिस्सा बने हैं।
पहले घटना में, मणिपुर के एक पोलिंग बूथ पर हुई गोलीबारी में तीन लोग घायल हो गए। इस घटना के बाद पुलिस ने संज्ञान में लेते हुए तत्काल कड़ी कार्रवाई की और मामले की जांच की गई। इस हमले के पीछे की वजह और घटना के दायरे को और अधिक जांच रही है।
दूसरे मामले में, इम्फाल ईस्ट क्षेत्र में EVM मशीनों में तोड़फोड़ की घटना सामने आई। यह घटना निर्वाचन प्रक्रिया को अवरुद्ध करने के लिए काफी चिंताजनक है। पुलिस द्वारा इस मामले की त्वरित जांच की गई है और आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं।
तीसरे मामले में, कुकी समुदाय ने चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ अपना विरोध जताते हुए चुनावों का बहिष्कार कर दिया। उन्होंने अपने कारणों को साझा किया और चुनाव प्रक्रिया में असहमति का अभिव्यक्त किया।
ये घटनाएं साबित करती हैं कि मणिपुर में चुनाव प्रक्रिया के दौरान हाल ही में हुए घटनाओं ने राजनीतिक माहौल को चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर किया है। इन घटनाओं के पीछे की वजहें और उनके दायरे को और अधिक जांचा जा रहा है ताकि ऐसी हालतों को फिर से नहीं होने दिया जा सके।
चुनाव प्रक्रिया को सुरक्षित और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए पुलिस और स्थानीय अधिकारियों को सतर्क रहना चाहिए, साथ ही राजनीतिक दलों को भी अपने समर्थकों को शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
2024 लोकसभा चुनाव के प्रथम चरण के दौरान, मणिपुर राज्य में घटित घटनाओं ने चुनावी माहौल को चुनौती मिलाई है। शुक्रवार को थमनपोकपी क्षेत्र के एक मतदान केंद्र पर हुई गोलीबारी में तीन लोग घायल हो गए। इसके साथ ही, इंफाल ईस्ट क्षेत्र के थोंगजू क्षेत्र में एक बूथ पर EVM मशीनों में तोड़फोड़ की खबरें आई।
मणिपुर में यह चुनावी घटनाएं न केवल चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि राजनीतिक माहौल में भी विस्तार से अस्थिरता का संकेत दे रही हैं। गोलीबारी के मामले में पुलिस ने संज्ञान में लेते हुए तत्काल कार्रवाई की है और मामले की जांच शुरू की गई है।
इसी तरह, EVM मशीनों में तोड़फोड़ की घटना भी चिंताजनक है। चुनाव प्रक्रिया में इस प्रकार की हस्तक्षेप करने से विश्वासघात उत्पन्न होता है और लोगों की आत्मविश्वास में कमी आती है।
मणिपुर में कुछ दिनों से हिंसा का माहौल बढ़ रहा है, खासकर कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण के मुद्दे पर। यहां पर हुई गोलीबारी और EVM मशीनों में तोड़फोड़ की घटनाएं इस माहौल को और भी उत्तेजित कर रही हैं।
कुकी समुदाय ने चुनाव प्रक्रिया को बहिष्कार का ऐलान किया है, जो कि चुनाव प्रक्रिया में और भी अतिरिक्त दबाव डालेगा। उनका दावा है कि उन्हें न्याय नहीं मिल रहा है और इसलिए उन्होंने इस नारे का प्रयोग किया है।
इन घटनाओं के बावजूद, चुनावी प्रक्रिया को संबंधित अधिकारियों और सुरक्षा बलों के द्वारा पूरी तरह से संभाला जाना चाहिए। इससे न केवल चुनाव प्रक्रिया को लेकर लोगों का विश्वास बना रहेगा, बल्कि राजनीतिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।
मणिपुर में BJP सबसे बड़ी पार्टी, NPP और NPF से अलायंस
मणिपुर राज्य में राजनीतिक गतिविधियों में बड़ा बदलाव आया है, जहाँ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी आक्रामकता को बढ़ाते हुए अन्य स्थानीय दलों के साथ गठबंधन किया है। NPP (नेशनल पीपुल्स पार्टी) और NPF (नगा पीपुल्स फ्रंट) से किया गया यह गठबंधन चुनावी रणनीति का महत्वपूर्ण पहलू है।
जबकि BJP ने अपने उम्मीदवारों को केवल इनर मणिपुर सीट पर उतारा है, NPF को आउटर मणिपुर में समर्थन प्रदान किया गया है। यह राजनीतिक गठबंधन प्रायः उन इलाकों को लेकर हुआ है, जो आदिवासी और नागा समुदायों के प्रभाव में हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव में BJP को मणिपुर में भयंकर आत्मसात का सामना करना पड़ा था, जब वह अपनी दो सीटों के लिए लड़ी थी। यहाँ, पार्टी को इनर मणिपुर से ही एक सीट मिली थी, जबकि आउटर मणिपुर में NPF ने उन्हें हराया था। इस बार भी, एक जैसा ही संवेदनशील माहौल है जहाँ BJP और NPF दोनों ही सीटों के लिए एक दूसरे के साथ मुकाबला कर रहे हैं।
मणिपुर में यह गठबंधन उदाहरण है कि राजनीतिक दल अक्सर स्थानीय दलों के साथ साझेदारी करते हैं ताकि वे अपनी प्रतिष्ठा और पूर्णता को बढ़ा सकें। इसके अलावा, इससे यह संदेश भी दिया जाता है कि स्थानीय मुद्दों को उठाने में दलों की सकारात्मक भूमिका होती है।
मणिपुर में BJP की स्थिति का मजबूत होना और उसका स्थानीय दलों के साथ गठबंधन करना उसकी राजनीतिक रणनीति का एक प्रमुख आयाम है। यह भी दिखाता है कि चुनावी रणनीति में संवेदनशीलता की भूमिका बढ़ती जा रही है और दलों को लोकतंत्र के मूल्यों का सम्मान करने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए।
कांग्रेस ने दोनों सीटों पर उम्मीदवार उतारे
कांग्रेस ने मणिपुर राज्य की दोनों सीटों पर चुनावी प्रक्रिया में व्यापक रूप से भागीदारी का फैसला किया है। पार्टी ने इनर मणिपुर से प्रो. अकोइजाम बिमोल को और आउटर मणिपुर से अल्फ्रेड के आर्थर को उम्मीदवार बनाया है। 2019 में भी कांग्रेस ने दोनों सीटों पर उम्मीदवारों को चुनावी अभियान में शामिल किया था, लेकिन वहाँ से कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी।
कांग्रेस की यह चुनावी प्रक्रिया मणिपुर में उसकी राजनीतिक प्रतिष्ठा को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। वहाँ पार्टी के उम्मीदवारों के प्रमुख चुनावी मुद्दे, स्थानीय विकास की योजनाओं, और जनता की समस्याओं के समाधान पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
इसी बीच, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) भी मणिपुर में चुनावी मैदान में हाजिर है। पार्टी ने इनर मणिपुर सीट पर कैंडिडेट को उतारा है। 2019 के चुनावों में भी CPI ने सिर्फ इसी सीट पर प्रतिस्पर्धा की थी, लेकिन उसे वहाँ से भी कोई सफलता नहीं मिली थी।
मणिपुर के राजनीतिक माहौल में कांग्रेस और CPI की यह भागीदारी उनके स्थानीय समर्थकों को संजीवनी मिल सकती है। इन दोनों दलों की मिलीभगत से, वे अपनी शक्ति को एकजुट कर सकते हैं और चुनावी मैदान में भाजपा और अन्य दलों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा में मजबूती से सामना कर सकते हैं।
मणिपुर की राजनीतिक परिस्थितियों में बदलाव के इस समय में, कांग्रेस और CPI के इस तरह के गठबंधन से राजनीतिक संगठन और नेताओं को नई ऊर्जा और प्रेरणा मिल सकती है। इसके साथ ही, यह चुनावी गठबंधन मणिपुर के लोगों को भी एक मजबूत विकल्प प्रदान कर सकते हैं
आउटर मणिपुर सबसे हॉट सीट, दोनों कैंडिडेट नगा कम्युनिटी से
मणिपुर के आउटर मणिपुर सीट ने हाल ही में चुनावी मैदान में धमाल मचा दिया है। यहां की राजनीतिक दाराबार ने इस सीट को एक हॉट सीट बना दिया है, जहां हर पार्टी ने अपने उम्मीदवार को पेश किया है। यहां की खासियत यह है कि यहां के चुनावी वातावरण में नागा कम्युनिटी की भूमिका विशेष महत्वपूर्ण है।
बीजेपी ने इस सीट पर नागा पीपुल्स फ्रंट के कैंडिडेट, टिमोथी जिमिक को सपोर्ट किया है। जिमिक एक पूर्व इंडियन रेवेन्यू सर्विस अधिकारी हैं, और वे नागा कम्युनिटी के सदस्य हैं। उन्हें नागा क्षेत्र के विकास के लिए प्रमुख कार्य करने के लिए जाना जाता है। उनके चुनावी प्रोग्राम में नागा कम्युनिटी के मुद्दे, उनके विकास की योजनाएं, और उनके सामाजिक और आर्थिक हितों का ध्यान होगा।
उनके मुकाबले में कांग्रेस का उम्मीदवार, अल्फ्रेड के आर्थर भी नागा कम्युनिटी से हैं। उन्होंने भी अपने चुनावी प्रोग्राम में नागा कम्युनिटी के मुद्दे उठाए हैं और उनके विकास को लेकर काम करने का वादा किया है।
इस चुनाव में दूसरे कोई चुनावी विकल्प नहीं हैं क्योंकि कुकी समुदाय इस सीट पर अपना उम्मीदवार नहीं उतार रहा है।
आउटर मणिपुर सीट की महत्वपूर्णता इसलिए भी है क्योंकि यहां की राजनीतिक दाराबार ने इसे एक महत्वपूर्ण राजनीतिक रंगभूमि बना दिया है। नागा कम्युनिटी के उम्मीदवारों की उपस्थिति इसे और भी महत्वपूर्ण बना देती है, और चुनावी प्रक्रिया को और अधिक रोमांचक बनाती है।
इस बारे में निर्णय लेने के लिए यहां के निवासियों को कठिन और गंभीर चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना पड़ेगा, जिससे कि वे अपने नेताओं का चुनाव कर सकें जो उनके हितों के लिए सबसे अच्छे हों।