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_ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के वोटों और वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों की 100% क्रॉसचेकिंग की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में एक मामला सुनने के दौरान, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर वेरिफायबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) की विश्वसनीयता पर ध्यान केंद्रित करता है, लोगों ने 100% क्रॉस-चेकिंग की मांग की। इस मामले में, सुप्रीम कोर्ट को यह निर्णय लेना पड़ेगा कि क्या EVM और VVPAT पर्चियों की 100% क्रॉस-चेकिंग करना चाहिए या नहीं।

यह मामला चुनाव प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें लोगों का विश्वास और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता का सवाल है। EVM और VVPAT दोनों ही विभिन्न प्रकार के मतदान मशीन हैं जो चुनावों में प्रयोग किए जाते हैं। EVM वोटर के द्वारा चुना गया वोट को संग्रहित करता है, जबकि VVPAT एक प्रिंटर के माध्यम से पेपर पर मतदाता के द्वारा चुने गए वोट का पुष्टिकरण करता है।

मामले के पक्षाधिकारी विचारधारा के अनुसार, EVM और VVPAT की 100% क्रॉस-चेकिंग अत्यंत आवश्यक है। इसका मतलब है कि हर EVM मशीन से प्राप्त होने वाले मतों को VVPAT पर्चियों के माध्यम से सत्यापित किया जाना चाहिए। यह सुनिश्चित करेगा कि EVM में होने वाली किसी भी गड़बड़ी को खुलासा किया जा सके और लोगों को पूरा भरोसा होगा कि उनका वोट सही ढंग से गिना गया है।

हालांकि, विरोधी पक्ष का मानना है कि 100% क्रॉस-चेकिंग का अनुमानित लागत काफी अधिक होगी और चुनाव प्रक्रिया को अतिरिक्त दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। वे इसे समय की बर्बादी और अत्यधिक खर्च मानते हैं।

चुनाव आयोग ने पहले ही इस मामले को लेकर कई उपाय किए हैं, लेकिन इसके बावजूद भी विवाद जारी है। इस मामले का निर्णय सुप्रीम कोर्ट में अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह वोटरों के भरोसे को बढ़ावा देगा और चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने में मदद करेगा। इसलिए, यह निर्णय लोकतंत्र के मूल्यों को संरक्षित रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

आज सुप्रीम कोर्ट में ईवीएम और वीवीपैट के बारे में चर्चा हुई। इस चर्चा के बाद कोर्ट ने ईवीएम-वीवीपैट मामले में दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा है। यह मामला सुनवाई के बाद किए गए लंबे विचारों और तर्कों के बाद आया।

सुप्रीम कोर्ट के बेंच ने ईवीएम की आलोचना और मतपत्रों को वापस लाने का आह्वान करने के कदम पर नाखुशी जताई है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने यह फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोटिंग प्रक्रिया में 100 प्रतिशत क्रॉस-चेकिंग का आह्वान करने की मांग करने पर हमें संदेह करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने कहा कि इस प्रकार की आवश्यकता का अनुमान लगाने के लिए कोई आधिकारिक समर्थन नहीं है।

वोटिंग प्रक्रिया में क्रॉस-चेकिंग के मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ईवीएम और वीवीपैट तकनीक की प्रक्रिया को चुनाव आयोग और भारतीय चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित किया जाता है। इसके अलावा, कोर्ट ने यह भी कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वोटिंग प्रक्रिया विश्वसनीय और पारदर्शी हो।

यह फैसला आम जनता में कुछ उत्साह और कुछ निराशा का संदेश देता है। जो लोग चुनाव प्रक्रिया में 100 प्रतिशत क्रॉस-चेकिंग का आह्वान कर रहे थे, उनके लिए यह एक निराशा का पल हो सकता है। वे चाहते थे कि वोटिंग प्रक्रिया में पूरी तरह से पारदर्शीता और विश्वसनीयता हो, लेकिन उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया।

अब यह निर्णय हो चुका है, और चुनाव आयोग के द्वारा तय किए गए नियमों और दिशानिर्देशों को पालन किया जाएगा। इससे सुनिश्चित होगा कि चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी का कोई संभावना नहीं होगी और लोगों को पूरा भरोसा होगा कि उनका वोट सही ढंग से गिना गया है।

इस फैसले से आगे चलकर, लोगों के विश्वास को बढ़ावा मिलेगा और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता का स्तर ऊँचा होगा। यह सुनिश्चित करेगा कि लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा की जाए और चुनाव प्रक्रिया को स्थिरता और विश्वसनीयता के साथ संचालित किया जाए।

 

सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान, एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठा कि क्या वोटिंग के बाद वोटर्स को वीवीपैट से निकली पर्ची नहीं दी जा सकती है। इस पर चुनाव आयोग ने जवाब दिया कि मतदाता को वीवीपैट स्लिप देने में बहुत बड़ा रिस्क है। ऐसा करने से वोट की गोपनीयता से समझौता होगा और बूथ के बाहर इसका दुरुपयोग किया जा सकता है।

यह समस्या बहुत सीमित समय के लिए उठी होती है, क्योंकि वोटर को वीवीपैट से निकली पर्ची देने का प्रक्रिया विशेष ध्यान और संरक्षण की आवश्यकता होती है। इसका इस्तेमाल दूसरे लोगों द्वारा कैसे किया जा सकता है, यह किसी भी समय नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, इसका उपयोग किसी भी प्रकार के अपराध की संभावना को बढ़ा देता है, जैसे कि वोट खरीदने, वोट के लिए दबाव डालने या वोट को बदलने की कोशिश करने की संभावना।

वीवीपैट के उपयोग से निकली पर्ची की सुरक्षा को लेकर इस प्रकार के संदेहों को देखते हुए, चुनाव आयोग ने यह फैसला किया कि वोटर्स को वीवीपैट से निकली पर्ची नहीं दी जाएगी। यह समस्या को निराकरण करने के लिए, चुनाव आयोग को अब कार्यवाही करनी होगी, ताकि वोटिंग प्रक्रिया की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके।

वोटिंग प्रक्रिया के इस महत्वपूर्ण पहलू को ध्यान में रखते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के इस निर्णय का समर्थन किया है। यह निर्णय सुनिश्चित करेगा कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी का कोई संभावना नहीं हो, और लोगों को पूरा भरोसा होगा कि उनका वोट सही ढंग से गिना गया है। इस प्रकार, लोकतंत्र की मौजूदा स्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।

 

चुनावी प्रक्रिया एक देश के लोकतंत्रिक प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो नागरिकों को नेताओं का चयन करने का अधिकार प्रदान करता है। इसलिए, चुनाव को कमजोर करने का कोई प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण बयान जारी किया था, जिसमें उन्होंने चुनावी प्रक्रिया के महत्व को बड़े पैमाने पर उजागर किया।

चुनाव को कमजोर करने का प्रयास किसी भी लोकतंत्र में गंभीर चिंता का विषय है। चुनाव प्रक्रिया को दुर्बल करने का प्रयास उसकी विश्वासघात करता है और लोगों में चुनावी प्रक्रिया के प्रति आत्मविश्वास कम करता है। सुप्रीम कोर्ट ने सही तरीके से इस मुद्दे को उठाया और सामाजिक, राजनीतिक और कानूनी स्तर पर चुनावी प्रक्रिया की महत्वपूर्णता को समझाया।

सुप्रीम कोर्ट के बयान के अनुसार, मतदान केंद्रों में हेर-फेर की प्रक्रिया को किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। इससे न केवल चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता का संकट होता है, बल्कि यह लोगों के आत्मविश्वास को भी कमजोर करता है।

चुनावी प्रक्रिया का मौलिक लक्ष्य है नागरिकों को सही और निष्पक्ष तरीके से उनके प्रतिनिधि का चयन करने का अधिकार प्रदान करना। इसलिए, चुनावी प्रक्रिया में उच्च स्तर पर निष्पक्षता और विश्वास को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है।

इस संदर्भ में, सुप्रीम कोर्ट के बयान ने साफ किया कि चुनावी प्रक्रिया को लेकर किसी भी प्रकार के संदेह को सीधे और सख्ती से सामने लिया जाएगा। इससे प्रक्रिया में गलतियों की संभावना को कम किया जा सकता है और लोगों का विश्वास बना रहेगा कि उनके द्वारा दिया गया वोट सही और निष्पक्ष है।

चुनाव को कमजोर करने का प्रयास किया जाना चाहिए, बल्कि उसे मजबूत और निष्पक्ष बनाए रखने का प्रयास किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस बात की पुष्टि करना नागरिकों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाए रखेगा, जिससे लोकतंत्र की नींव मजबूत होगी और वह विकसित होगा।

 

 

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