सुई से लिखी दुनिया की पहली किताब
पियुष कुमार गोयल, जो कि 10 फरवरी 1967 को जन्मे, उत्तर प्रदेश के दादरी के निवासी हैं। उन्होंने इतिहास में एक अनूठी पहल की है, जो कि दुनिया की पहली सुई की किताब “मधुशाला” का निर्माण किया है। यह काम उन्होंने अमिताभ बच्चन के पिता, प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की कविता “मधुशाला” को माध्यमिक के रूप में चुनौतीपूर्ण और स्थायी तरीके से पेश किया है।
इस किताब का शीर्षक “2 लाख छेदों वाली सुई की किताब” है, जो कि उन्होंने एक छोटी सी सुई का इस्तेमाल करके कागज़ पर चुभाई है। यह किताब पूरी तरह से हस्तकृत रूप में बनाई गई है, जिसमें हर पृष्ठ पर आठ पंक्तियाँ होती हैं। पुस्तक में कुल 135 पृष्ठ हैं, जो कि कविता के हर एक अंश को प्रकट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।
इस अनूठे कृति को पूरा करने में पियुष कुमार गोयल को लगभग दो और आध महीने लगे। इस प्रक्रिया में, वे प्रत्येक पंक्ति को सुनिश्चित करने के लिए सटीकता से काम करते रहे और हर पेज को ध्यान से और सुंदरता से सजाया। इसके फलस्वरूप, एक अद्वितीय और स्वाभाविक रूप में तैयार किया गया निर्माण उनके अद्वितीय और कलात्मक दृष्टिकोण को प्रकट करता है।
पियुष कुमार गोयल का यह अनूठा कृति साहित्य की विशेषता के रूप में मानी जा सकती है, जो अद्वितीयता के साथ-साथ कला को भी महसूस कराती है। उन्होंने इस किताब को बनाने में अद्वितीय और स्थायी दृष्टिकोण दिखाया है, जो इसे एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय साहित्यिक कृति बनाता है। इस प्रकार, वह अपनी योग्यता और प्रतिबद्धता से आदर्श को वास्तविकता में बदलने का प्रमुख उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
पीयूष गोयल, जिन्हें 2000 में एक ऐतिहासिक दुर्घटना का सामना करना पड़ा, उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ माह लगे। इस मुश्किल दौरान में उन्होंने श्रीमद्भगवद गीता का सहारा लिया, जो उन्हें जीवन के विभिन्न पहलुओं में मार्गदर्शन प्रदान करने में मदद करती रही। जब वे स्वस्थ हो गए, तो उन्हें कुछ नया करने की जिजीविषा हुई और वे अलग-अलग प्रयासों में लगे।
पीयूष गोयल ने शब्दों को उल्टा (मिरर शैली) लिखने का प्रयास किया। इस अद्वितीय और अनोखे शैली का अभ्यास करते-करते उन्हें इसमें माहिर बना दिया। इस प्रकार, उन्होंने कई किताबें लिखीं, जिनमें से कई ने उन्हें साहित्यिक दुनिया में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।
गोयल की लिखीं पुस्तकें अनोखे कारणों से अद्वितीय हैं। उनकी शैली का अद्वितीयता इस बात पर निर्भर करती है कि उन्होंने अपने शब्दों को मिरर शैली में लिखा। इस तकनीक का उपयोग करके, उन्होंने अपने पाठकों को उनकी पुस्तकें सहजता से पढ़ने का अवसर प्रदान किया है।
इस अनोखी शैली का उपयोग करके, पीयूष गोयल ने हरिवंश राय बच्चन की प्रसिद्ध पुस्तक ‘मधुशाला’ को भी नई दिशा में ले जाया। उन्होंने सुई से मिरर इमेज में लिखी ‘मधुशाला’ को बनाया, जिसमें वे ढाई माह का समय लगाए। इस पुस्तक को लिखने के लिए उन्होंने सुई के साथ कागज़ पर काम किया, जिससे यह पुस्तक दुनिया की पहली ऐसी पुस्तक बन गई जिसे मिरर इमेज में लिखा गया है। यह उनकी अनूठी कला और उनके अद्वितीय दृष्टिकोण का प्रमाण है।
पीयूष गोयल ने एक अद्वितीय कारनामा करके दिखाया है जो समाज में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। उन्होंने एक ऐसी कला का निर्माण किया है जो स्वाभाविक रूप से आकर्षित करती है और जो लोगों के दिलों में एक अद्वितीय जागरूकता और समझ उत्पन्न करती है।
पीयूष गोयल का उत्कृष्ट कारनामा उनकी सूई से पुस्तक लिखने की प्रेरणा से जुड़ा है। जब उनसे पूछा गया कि उन्हें इस अद्वितीय कला का आविष्कार कैसे हुआ, तो उन्होंने बताया कि बहुत सोच-समझकर उन्हें यह विचार आया कि शब्दों को सुई की मदद से उलटा लिखा जाए।
पीयूष गोयल ने श्री हरिवंश राय बच्चन जी की प्रसिद्ध पुस्तक ‘मधुशाला’ को इस अद्वितीय तकनीक का उपयोग करके लिखा। उन्होंने देखा कि इस पुस्तक को मिरर इमेज में लिखने में लगभग ढाई महीने का समय लगा। उनके शब्दों को सुई से लिखा गया यह एक अद्वितीय कारनामा है, जो उनकी विद्वत्ता और उत्कृष्टता का प्रमाण है।
गोयल की पुस्तक ‘मधुशाला’ ने दर्शकों के बीच उत्साह और चिंतन की भावना को जगाई है। उनके अद्वितीय कारनामे ने सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से लोगों को प्रेरित किया है और उन्हें सोचने के लिए प्रेरित किया है। इस उत्कृष्ट कारनामे के माध्यम से, गोयल ने आधुनिक समाज में एक महत्वपूर्ण संदेश प्रस्तुत किया है कि किसी भी कार्य को करने के लिए समर्थता और साहस की आवश्यकता होती है।