शिक्षित और बेरोजगार भारत के युवा मतदाता
शिक्षित और बेरोजगार युवा मतदाता होने का विषय एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद विषय है, जो कई देशों में उठ रहा है। यह एक प्रश्न है जो न केवल राजनीतिक वाद-विवाद में उठता है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक परिवेश में भी गहरा प्रभाव डालता है। इसे समझने के लिए, हमें पहले युवाओं के शिक्षा और बेरोजगारी के अधिकारिक परिपेक्ष्य, उनकी स्थिति के कारण, उनकी नाराजगी के कारण, और संभवित समाधानों की ओर ध्यान देना होगा।
शिक्षित और बेरोजगार युवा मतदाता कौन होते हैं?
शिक्षित और बेरोजगार युवा मतदाता वह युवा होता है जिसने शिक्षा प्राप्त की हो, लेकिन विभिन्न कारणों से उन्हें रोजगार नहीं मिल पाता है। यह आमतौर पर विद्यालय और विश्वविद्यालयों से पास हुए युवाओं को सम्मिलित करता है जो कि अब नौकरी के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्हें अधिकारिक रूप से नौकरी नहीं मिल पा रही है।
उनकी स्थिति के कारण:
1. अर्थव्यवस्था में अस्थिरता: आधुनिक अर्थव्यवस्था में बदलाव, विशेष रूप से आधुनिकीकरण और तकनीकी उन्नति के दौरान, कई पारंपरिक नौकरियों की जगह नई और विशेषकर तकनीकी नौकरियाँ उत्पन्न हो रही हैं। इसके परिणामस्वरूप, शिक्षित युवा अपनी कौशल के अनुसार अधिकतर नौकरियों के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं, जिससे बेरोजगारी की दर बढ़ती है।
2. कौशल की कमी: कई युवा शिक्षा प्राप्त करते हैं, लेकिन उनके पास उन क्षेत्रों में कौसल की कमी होती है जिनमें व्यावसायिक योग्यता की मांग होती है। उन्हें अपनी कौशल को बढ़ाने के लिए उचित प्रशिक्षण और शिक्षा की आवश्यकता होती है जो कि उन्हें रोजगार में सुधार सकती है।
3. रोजगार की कमी: कई अधिकृत नौकरी उपलब्ध नहीं होती, खासकर युवाओं के लिए जो कि नवीनतम और अधिक कौशलों के साथ संपन्न होते हैं। विभिन्न कारणों से नौकरी की कमी बेरोजगारी की दर को बढ़ाती है, जिससे युवा नाराजगी और असंतुष्टि का सामना करते हैं।
4. विद्यार्थी ऋणों का दबाव: कई युवा उनकी अध्ययन की लागत को ध्यान में रखते हुए उच्च शिक्षा में प्रवेश करते हैं, लेकिन इसका निर्धारित समय पर चुका देने के लिए वित्तीय दबाव अनुभव करते हैं। यह ऋणों के लिए सामाजिक और आर्थिक दबाव उत्पन्न करता है, जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
उनकी नाराजगी के कारण:
1. नैतिक और सामाजिक असहिष्णुता: बेरोजगारी के कारण, युवा अपने आत्म-सम्मान में कमी महसूस कर सकते हैं और समाज में असहिष्णुता का सामना कर सकते हैं। यह उन्हें नाराज और निराश बना सकता है।
2. राजनीतिक असंतोष: कई बेरोजगार युवा राजनीतिक प्रक्रिया में निराशा महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि सरकार उनकी समस्याओं को समझने और हल करने में असफल है।
3. आर्थिक असुरक्षा: बेरोजगारी के कारण आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं होती है, जिससे युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित होते हैं। यह उन्हें असहिष्णुता और नाराजगी में ले जाता है।
4. आत्मविश्वास की कमी: बेरोजगारी के कारण, युवा अपने आत्मविश्वास में कमी महसूस कर सकते हैं और अपने क्षमताओं को संदेह में डाल सकते हैं। यह उन्हें समाज में अपनी स्थिति को समझने में मुश्किल कर सकता है।
संभवित समाधान:
1. कौशल विकास योजनाएं: सरकारें और गैर-सरकारी संगठनों को युवाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों की शुरुआत करनी चाहिए, जिससे उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने के लिए तैयार किया जा सके।
2. उद्यमिता को बढ़ावा: सरकारें को उद्यमिता को बढ़ाने के लिए नौकरी निर्माण कार्यक्रमों की अधिक संदर्भों में प्रेरित करना चाहिए, जो युवाओं को व्यापारिक संजीवन के लिए संवेदनशील बना सकता है।
3. साक्षरता और शिक्षा का प्रोत्साहन: साक्षरता और उच्च शिक्षा के लिए अधिक योजनाओं की आवश्यकता है, जिससे युवा अपने क्षमताओं को और विकसित कर सकें और बेहतर रोजगार के लिए पात्र हो सकें।
4. रोजगार संभावनाएं बढ़ाना: सरकारें और निजी क्षेत्र को रोजगार संभावनाओं को बढ़ाने के लिए उत्प्रेरित करना चाहिए, ताकि युवा नई और उत्साही नौकरी अवसरों का लाभ उठा सकें।
5. सामाजिक और मानसिक समर्थन: बेरोजगार युवाओं को सामाजिक और मानसिक समर्थन प्रदान करने के लिए सार्वजनिक-निजी क्षेत्र और समाज के संगठनों को मिलकर काम करना चाहिए। इससे वे अपनी निराशा को दूर कर सकेंगे और अपनी भविष्य में सकारात्मक दिशा में बढ़ेंगे।
इस तरह, शिक्षित और बेरोजगार युवा मतदाता की नाराजगी को समझना और समाधान करना आवश्यक है, ताकि समाज उनके साथ समर्थ हो सके और वे सक्षम नागरिकों के रूप में योगदान कर सकें।