Navratri festival of nine days
नवरात्रि
नवरात्रि एक ऐसा पवात त्यौहार, जिसे देशभर में पूरी धूमधाम से मनाया जाता है। देश का हर कोना, हर राज्य हर क्षेत्र इसे अपनी परंपरा अनुसार मनाता है। ये त्यौहार ही होते है जो देश की विविधता की एकता का प्रतीक होते हैं। मन आनन्दित होता है जब चारों और से “जय माता की” का आवह्नन होता है।
नवरात्रि देवी दुर्गा और उसके नौ रूपों को समर्पित है। पूरे वर्ष में चार बार नवरात्रि आते हैं। माघ, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन । इसमें से माघ और आषाढ़ में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा गया है। चैत्र और अश्विन में आने वाली नवरात्रि महत्वपूर्ण होती है। हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से सबसे पहले चैत्र मास में 9 दिन नववरात्रि के होते हैं। इसमें चैत्र माह की नवरात्रि को बडी नवरात्रि और अश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि कहते हैं। ये चारों नवरात्रि ऋतु परिवर्तन के समय आते हैं। और ये सभी ऋतुओं के संधिकाल में मनाए जाते हैं।
नवरात्रि का महत्व सिर्फ धर्म अध्यात्म और ज्योतिष की दृष्टि से ही नहीं अपितू वैज्ञानिक दृष्टि से भी नवरात्रि का महत्व है। ऋतु बदलते समय रोग का भय होता है। और रोग को आसुरी शक्ति से जोड कर देखा जाता है और उनका अंत करने के लिए हवन, पूजन आदि किया जाता है । जिसमें कई तरह की जड़ी बुटियों और वनस्पतियों का प्रयोग किया जाता है। नवरात्रि के दौरान हवन स्वास्थ्य के लिए हितकर माना जाता है। शरीर और मन को पुष्ट और स्वस्थ बनाकर नए मौसम के लिए तैयार करने के लिए व्रत किए जाते है। और साथ में भक्ति जुड़ जाए तो अध्यात्मता अपने चरम सीमा पर पहुंच जाती है।
हर क्षेत्र इसे विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है ।गुजरात में यह त्यौहार डांडिया और गरवा मनाया जाता है। भक्ति स्वरूप गरबा आरती सेपहले और डांडिया समारोह के बाद खेला जाता है। पश्चिम बंगाल राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारों में दूर्गा पूजा सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है।यह पूजा वैदिक काल से पहले से चलती आ रही है।
नवरात्रि में देवी के शक्तिपीठ और सिद्धपीठों पर भारी मेलो का आयोजन होता है। यद्यपि शक्तिपीठों का महत्व भिन्न है तध्यपि माता का स्वरूप एक ही है। कही पर जम्मू के पास वैष्णों देवी ही ,कही चंडी रूप की पूजा होती है। बिलासपुर हिमाचल में नैना देवी तो वहीं सहारनपुर में शांकुम्भरी देवी के नाम से माता के भारी मेले लगते है।
नवरात्रि के नौवे दिन, जिसे नवमी कहते हैं, इस दिन 9 कन्याओं को आमंत्रित करते है व उनकी पूजा आदि करते है ।अष्टटमी को भी कुछ लोग पूजा करते है । इस व्रत के दौरान भक्तजन मांस, शराब, प्याज और लसन नहीं खाते है क्योंकि मानते है कि ये सब नकारात्मक उर्जा को आकर्षित करता हैं।,
नवरात्रि आत्मनिरीक्षण और शुद्धि की अवधि है और पारंपरिक रूप से नए उद्यम शुरु करने के लिए एक शुभ और धार्मिक समय भी है।