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Divine Gift Mother

देवो स्वरुपा – मां

‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरियसि”

“मां और मातृ‌भूमि स्वर्ग से भी ऊपर है।

रावण वध के उपरांत जब श्री राम ने विभिषण को लंका का राजा घोषित कर दिया। उसके पश्चात लक्ष्मण ने उन्हें कुछ दिन और वहाँ रुकने को कहा क्यूंकि लंका एक रमणीय स्थान था। पर श्री राम ने उत्तर दिया चूंकि माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है अतः हमें अयोध्या लोटना होगा।

सत्य ही है मां के चरणों में स्वर्ग है, माँ एक ऐसा शब्द जिसके लिए शब्द ही कम पड़ जाएं। मां दयालु, सुरक्षात्मक, मजबूत, असाधारण देखभाल करने वाली एक भी प्यारी सी दुआ जिस के लिए विशेषण कहाँ से लाऊं, समझ नहीं आ रहा। मां को लक्ष्मी का प्रर्याय कहना अनुचित नहीं होगा । लक्ष्मी सृष्टि का पालन करती है और माँ बच्चे का । अपने अंदर नौ महीने रख शिशु को धरा पर लाती है, उसे हर बुरी नजर से बचाती है, उसमें संस्कार भरती है। कहते हैं ईश्वर के बाद मां ही है, जो शिशु को संभाल सकती है।

स्नेही
मां स्नेह की मूर्त, जिसके पहलू में आते ही शिशु तो शिशु, बड़े भी अपने दुख-दर्द भूल जाते है। उनका स्नेहमयी आंचल धूप से ही नही विपदा में खड़े रहने की ताकत देता है। उनका आशिर्वाद भरा हाथ जीवन के हर पथ पर आगे बढ़‌ने का मार्ग प्रशस्त करता है।

संजीवनी
माँ किसी संजीवनी बुटी से कम नहीं है उसकी घरेलु रैमिडिस क्या कमाल की होती है। पेट दर्द हो तो अज़वायन, गैस हो तो काढ़ा , कुछ भी हो देसी इलाज हरद‌म तैयार होता , उन पाँच दिनों वाला काढ़ा शरीर में जान डाल देता था। आधी बिमारी तो मां के सांतवना शब्दों से ही ठीक हो जाती है। गजब की डाक्टर होती है मां ।

प्रेरणा

मां प्रेम और करुणा का प्रतीक तो है साथ-र प्रेरणा का स्त्रोत भी है। माँ ही बचपन से बच्चे के अंदर अच्छे-बुरे का एहसास भरती है। उसकी हर सीख जादू का काम करती है। सुन्दर भावों से मां हमारी गल्तियों को सुधार एक नई राह दिखाती है।

सिखाना

हजारों फूल मिलकर माला बनाते है, हजारों दीए मिलकर आरती सजाते है, हजारों बून्द मिलकर सागर बनाती है पर मां अकेली ही शिशु का सृजन करती है। उसे सिखाती है, एक अच्छे इन्सान को उसमें जगाती है, उसकी भूलों को सुधारती है। हर विपदा में खड़ा रहना सिखाती है ,भवरो से भरी इस दुनिया में उसके लिए लाईट हाऊस का कार्य करती है । बच्चे का मानसिक , शारीरिक उतौर आध्यात्मिक विकास के लिए उसे नई नई सीखे देती है तांकि वो हर क्षेत्र में अग्रसर रहे।
करा- मां किसी भी नन्चे का

सहारा
मां किसी भी बच्चे का अभूतपूर्व सहारा होती है। बड़े बुजर्ग अक्सर कहते है कि ईश्वर हर जगह नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया तांकि बच्चे को कोई तकलीफ न हो इन्सान कितना भी बड़ा हो जाए पर मां का बच्चा ही होता है इसलिए जब भी कोई समस्या उसे आ घेरती है तो उसका सबसे बड़ा सहारा मां ही होती है ।

शिक्षा

शिक्षा हर क्षेत्र में अपना महत्व रखती है। पर- जो शिक्षा मां देती हैं वो जीवन में सुमन खिलाती है। एक अच्छा इन्सान, एक मेहनतकश इन्सान, एक मददगार इन्सान सब बनने की प्रेरणा मां की शिक्षा होती है। माँ वो पहला गुरु है जो मानव जाति के लिए सर्वोपरि है।

समर्थन

मां सही परिस्थितियों में अक्सर बच्चों के साथ खड़ी रहती है। मां अंधकार से रोशनी की तरफ लेकर जाती है। हर मुश्किल में मां समर्थन करती है। परे परिवार को साथ रखना, रिश्तेदारी को मजबूती से बाँध कर रखने में मां हर समय अपना समर्थन देती है। पिता परिवार के लालन-पोषण और सुरक्षा के लिए सदा समर्पित होता है तो मां परिवार की एकता का मजबूत स्तंभ होती है

साथी

मां इन्सान की पहली गुरू, पहला दोस्त पहला साथी होती है। हर पल अपने बच्चों का साथ देती है। जिनकी मां नहीं होती उनका दर्द कोई समझ नहीं सकता। छोटी सी तकलीफ भी मां को रूला देती है। बच्चों की खातिर मां अर्श तक हिला देती है।

आदर

मां इक् दुआ है, कविता है, सौम्य है, कोमल है, दृढ़ निश्चयी है, लौह स्तंभ है। मनुष्य को मां के लिए सदैव आदर भाव रखना चाहिए। हमारे माता-पिता वो है जिनसे हमारा वजूद है। वो दोनो हमारे जीवन की नींव है। नींव मजबूत होगी तो मनुष्य खुद-ब-खुद मजबूती से खड़ा होगा । अतः ऐसे देवता स्वरुप माता-पिता को सदैव आदर करना चाहिए। मां आदरणीय है पुजनीय है।

मां जो निष्काम भाव से दिन भर अपने कार्यों में लगी रहती है बावजूद इसके उसके माथे पर एक शिकन नहीं होती। मां सबके जीवन में पहली, सर्वश्रेष्ठ ,वास्तविक, सच्चा साथी होती है। जिस प्रकार सूरज के बिना दिन अधुरा होता है उसी प्रकार मां के बिना मनुष्य अधुरा होता है।

जानते है मां शब्द की उत्पति कैसे हुई। इस बारे में कंई मत है

1 पुराणों में मां लक्ष्मी से इसे जोड़ा गया है क्यूंकि मां लक्ष्मी सृष्टि का पालन करती है और मां शिशु के पालन पोषण का ध्यान रखती है इसलिए मां शब्द लक्ष्मी जी के मां सम्बोधन से निकला है ।

2 मां शब्द की उत्पति गोवंश से भी स्वीकारी गई है क्यूंकि जब गाय का बच्चा जन्म लेता है और रंभाता है तो जो स्वर निकलता है , सुनाई देता है और गाय ही एकमात्र ऐसा जीव है जिसे माता कहा जाता है।

3 कंई भाषाविंदों के मतानुसार छोटे बच्चे जब बोलने की शुरूआत करते है तो उनके मुख से निकली ध्वनियों से ‘मां’ शब्द अवतरित हुआ।

फिलहाल सोचने का विषय यह नहीं कि मां शब्द कहां से आया, विषय यह कि मां की महता क्या है। मां एक मर्मस्पर्शी शब्द जो अनमोल है। मां प्रेरणा है, सुपर हीरो है, अच्छी दोस्त है, मार्गदर्शक है। माँ के बिना जिंदगी बदसूरत है। मां है तो जहान् अपना है। मां वो है जिसकी गहराई नही नापी जा सकती बस उसके चरणों में केवल स्वर्ग महसूस किया जा सकता है।

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